Complete-Article / 1-to-395-Article
Article 1 भारत, राज्यों का एक संघ होगा। इसमें भारत का नाम और उसका क्षेत्रीय विस्तार बताया गया है।
Article 2 संसद को नए राज्यों को संघ में शामिल करने या उनके निर्माण का अधिकार है।
Article 3 संसद को राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन, नाम बदलने, या राज्यों का पुनर्गठन करने का अधिकार देता है।
Article 4 Article 2 और 3 के अंतर्गत किए गए कानून संविधान के संशोधन माने बिना ही संविधान की अनुसूचियों में परिवर्तन कर सकते हैं।Article 12 "राज्य" की परिभाषा (सरकारी संस्थाएं, विधायिका, कार्यपालिका आदि)।
Article 13 यदि कोई कानून मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है, तो वह शून्य होगा।Article 14 कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण।
Article 15 धर्म, जाति, लिंग, आदि के आधार पर भेदभाव निषिद्ध।
Article 16 सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर।
Article 17 अस्पृश्यता का अंत।
Article 18 उपाधियों की समाप्ति (No titles except military/academiArticle 19 – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य स्वतंत्रताएँ
नागरिकों को 6 प्रकार की स्वतंत्रता दी गई हैं:
1. Speech and Expression (विचार व्यक्त करना)
2. Assemble Peacefully (शांतिपूर्ण सभा करना)
3. Form Associations (संघ बनाना)
4. Move Freely (भारत में कहीं भी आने-जाने की आज़ादी)
5. Reside and Settle (भारत में कहीं भी बसने की स्वतंत्रता)
6. Practice any Profession (किसी भी व्यवसाय/रोज़गार का चुनाव)
➡️ इन अधिकारों पर कुछ तर्कसंगत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं (जैसे – देश की सुरक्षा, कानून व्यवस्था आदि)।
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🔹 Article 20 – दंड संबंधी संरक्षण
किसी व्यक्ति को:
किसी अपराध के लिए दूसरी बार सजा नहीं दी जाएगी (Double jeopardy)।
स्वयं के खिलाफ गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
पूर्व-लागू कानून (Ex-post-facto law) के अनुसार सजा नहीं दी जा सकती।
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🔹 Article 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण
"कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया" के बिना किसी व्यक्ति को जीवन या स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।
➡️ इसमें शिक्षा, पर्यावरण, निजता का अधिकार (Right to Privacy), जीवन की गरिमा आदि भी शामिल हैं।
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🔹 Article 21A – शिक्षा का अधिकार (Right to Education)
6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
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🔹 Article 22 – गिरफ़्तारी और हिरासत से सुरक्षा
बिना सूचना के गिरफ्तारी नहीं।
वकील तक पहुँच का अधिकार।
24 घंटे में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेशी आवश्यक।
Preventive Detention (निवारक नजरबंदी) के नियम अलग हैं।
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🔸 समानता के अधिकार के बाद – अब धार्मिक स्वतंत्रता:
🔹 Article 23 – मानव तस्करी और बेगार पर रोक
Trafficking, Forced Labor (बेगार) को प्रतिबंधित किया गया है।
🔹 Article 24 – बाल श्रम निषेध
14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में काम कराने पर रोक।
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🔹 Articles 25–28 – धार्मिक स्वतंत्रता
अनुच्छेद विवरण
Article 25 धर्म की स्वतंत्रता (अभ्यास, प्रचार, पालन)
Article 26 धार्मिक संस्थाओं को प्रबंध करने की स्वतंत्रता
Article 27 धार्मिक कार्यों के लिए कर नहीं लगाया जा सकता
Article 28 शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा का विनियमन
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🔹 Articles 29–30 – सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
अनुच्छेद विवरण
Article 29 अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति, लिपि और भाषा की सुरक्षा
Article 30 धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार
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🔹 Article 31
(Repealed – अब संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है; यह अब Article 300A के तहत है)
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🔹 Article 32 – संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)
➡️ डॉ. अम्बेडकर ने इसे “संविधान की आत्मा और हृदय” कहा था।
न्यायालय नागरिकों को अधिकारों के उल्लंघन पर Writs जारी कर सकते हैं:
Habeas Corpus, Mandamus, Prohibition, Certiorari, Quo-Warranto
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🔹 Articles 33–35 – अधिकारों की सीमाएं
अनुच्छेद विवरण
Article 33 संसद सशस्त्र बलों के अधिकारों को सीमित कर सकती है
Article 3अनुच्छेद 36 से 51
👉 यह भाग राज्य के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रस्तुत करता है ताकि एक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) की स्थापना हो सके।
🟡 ध्यान दें: ये मौलिक अधिकारों की तरह न्यायालय में बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन इनका पालन करना सरकार का कर्तव्य है।
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🔹 Article 36 – परिभाषा
"राज्य" की परिभाषा वही है जो Article 12 में है (Part III में)।
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🔹 Article 37 – नीति निर्देशक सिद्धांतों की प्रकृति
ये तत्त्व न्यायालय में बाध्यकारी नहीं, लेकिन राज्य के लिए अनिवार्य हैं।
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🔹 Article 38 – सामाजिक कल्याण
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा देना,
असमानताओं को कम करना।
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🔹 Article 39 – कुछ विशिष्ट नीति सिद्धांत
राज्य यह सुनिश्चित करे कि:
सभी नागरिकों को समान आजीविका के अवसर मिलें।
आर्थिक संसाधनों का वितरण समान हो।
पुरुष और महिला को समान वेतन मिले।
बच्चों और मज़दूरों का शोषण न हो।
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Article 39A – निःशुल्क न्याय और विधिक सहायता
गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देना।
न्याय तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
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🔹 Article 40 – ग्राम पंचायतों का संगठन
स्वशासन हेतु ग्राम पंचायतों की स्थापना करना।
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Article 41 – काम, शिक्षा और सहायता का अधिकार
बेरोजगारी, वृद्धावस्था, बीमारी आदि में सहायता प्रदान करना।
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Article 42 – श्रमिकों के लिए न्यायसंगत और मानवीय कार्य स्थितियाँ
मातृत्व अवकाश और श्रमिक अधिकार सुनिश्चित करना।
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Article 43 – उपयुक्त आजीविका का अधिकार
सभी नागरिकों को आजीविका के लिए उपयुक्त कार्य उपलब्ध कराना।
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Article 43A – औद्योगिक भागीदारी
कामगारों को औद्योगिक प्रबंधन में भागीदारी देना।
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Article 44 – समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)
पूरे भारत के लिए समान नागरिक कानून का निर्माण करना।
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🔹 Article 45 – बच्चों के लिए शिक्षा और देखभाल
6 वर्ष तक के बच्चों के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा और देखभाल।
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🔹 Article 46 – अनुसूचित जाति/जनजातियों और कमजोर वर्गों का हित
सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को बढ़ावा देना।
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🔹 Article 47 – पोषण स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार
शराब, नशीले पदार्थों पर रोक लगाना।
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🔹 Article 48 – कृषि और पशुपालन का संगठन
पशु हत्या की रोकथाम,
कृषि तकनीकों में सुधार।
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🔹 Article 48A – पर्यावरण का संरक्षण
वन, जल और पर्यावरण की रक्षा करना।
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🔹 Article 49 – स्मारकों और विरासत की रक्षा
ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा करना।
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🔹 Article 50 – न्यायपालिका की स्वतंत्रता
न्यायपालिका को कार्यArticle 51A – नागरिकों के कर्तव्य
हर नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह:
1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज व राष्ट्रगान का सम्मान करे।
2. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे।
3. देश की रक्षा करे और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा दे।
4. भारत के गौरवशाली अतीत की विरासत की रक्षा करे।
5. सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा दे, और सभी प्रकार के भेदभाव का त्याग करे।
6. महिलाओं के सम्मान का महत्व समझे और उनकी गरिमा बनाए रखे।
7. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे – जंगल, झील, नदियाँ और वन्यजीव।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता और सुधार की भावना का विकास करे।
9. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करे और हिंसा को अस्वीकार करे।
10. व्यक्तिगत और सामूहिक उत्कृष्टता के लिए प्रयास करे।
11. (जोड़ा गया 2002 में) – 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा दिलाना।
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✅ अब तक: Article 1 से 51A (Part I to IVA) COMPLETE!
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🔜 अब आगे क्या?
➡️ Part V – संघ सरकार (Union Government)
➡️ Articles 52 से 151 – राष्ट्रपति, उपराArticle 52 भारत का एक राष्ट्रपति होगा।
Article 53 कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी।
Article 54 राष्ट्रपति का निर्वाचन – निर्वाचक मंडल द्वारा।
Article 55 निर्वाचन की प्रक्रिया।
Article 56 कार्यकाल – 5 वर्ष।
Article 57 फिर से निर्वाचित हो सकते हैं।
Article 58 राष्ट्रपति बनने की योग्यताएँ।
Article 59 राष्ट्रपति के लिए विशेष शर्तें।
Article 60 शपथ – भारत के संविधान की रक्षा।
Article 61 महाभियोग की प्रक्रिया।
Article 62 रिक्ति पर नए चुनाव।
Article 63 उपराष्ट्रपति का पद।
Article 64 राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य।
Article 65 राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्य करना।
Article 66 उपराष्ट्रपति का चुनाव।
Article 67 कार्यकाल और हटाने की प्रक्रिया।
Article 68 रिक्ति पर चुनाव।
Article 69 शपथ।
Article 70 राष्ट्रपति के कर्तव्यों का अन्य निष्पादन।
Article 71 चुनाव संबंधी विवाद।
Article 72 क्षमा दान, दंड में रियायत आदि।
Article 73 संघ कार्यपालिका की सीमा।
Article 74 मंत्रिपरिषद् – राष्ट्रपति को सलाह देगी।
Article 75 प्रधानमंत्री की नियुक्ति और मंत्रियों की शर्तें।
Article 76 महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति।
Article 77 कार्यपालिका कार्यों का संचालन।
Article 78 राष्ट्रपति और प्रधानArticle 79 संसद का गठन – राष्ट्रपति + राज्यसभा + लोकसभा।
Article 80 राज्यसभा की रचना (Council of States)।
Article 81 लोकसभा की रचना (House of the People)।
Article 82 परिसीमन (Delimitation) आयोग।
Article 83 कार्यकाल – राज्यसभा स्थायी; लोकसभा 5 साल।
Article 84 संसद सदस्य बनने की योग्यता।
Article 85 राष्ट्रपति संसद का अधिवेशन बुला सकता है।
Article 86 राष्ट्रपति संसद में भाषण दे सकता है।
Article 87 संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का भाषण।
Article 88 मंत्रीगण संसद में भाग ले सकते हैं।
Article 89 राज्यसभा का सभापति और उपसभापति।
Article 90 उपसभापति का पद रिक्त होना।
Article 91–100 बैठकों, मतदान, नियमों की प्रक्रिया।
Article 101 संसद सदस्य का अन्य पद पर होना।
Article 102 संसद सदस्य की अयोग्यता।
Article 103 अयोग्यता पर निर्णय राष्ट्रपति द्वारा।
Article 105 संसद के सदस्यों की शक्तियाँ और विशेषाधिकार।
Article 107–111 विधेयकों की प्रक्रिया और राष्ट्रपति की स्वीकृति।
Article 112 वार्षिक बजट (Annual Financial Statement)।
Article 113–117 धन विधेयक और उसकी प्रक्रिया।
Article 118–122 संसद के नियम और उसकी Article 148 भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG)
Article 149 CAG के कर्तव्य और शक्तियाँ।
Article 150 लेखा की रूपरेखा – राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित।
Article 151 संसद और राज्य विधानमंडल के समक्ष रिपोर्ट देनाArticle 152 राज्यों की परिभाषा (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर)
Article 153 प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा।
Article 154 राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी।
Article 155 राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा।
Article 156 राज्यपाल का कार्यकाल – राष्ट्रपति की इच्छा तक।
Article 157–158 राज्यपाल की योग्यताएँ और शर्तें।
Article 159 शपथ और प्रतिज्ञा।
Article 160 आकस्मिक स्थितियों में राष्ट्रपति वैकल्पिक व्यवस्था कर सकता है।
Article 161 राज्यपाल द्वारा क्षमादान, दंड में रियायत आदि।
Article 162 राज्य कार्यपालिका की सीमा।
Article 163 राज्यपाल की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद्।
Article 164 मुख्यमंत्री और मंत्री की नियुक्ति – राज्यपाल द्वारा।
Article 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General)।
Article 166–167 राज्य सरकार के कार्यों की प्रक्रिया और राज्यपाArticle 168 राज्य की विधायिका – विधान सभा और विधान परिषद (जहाँ हो)।
Article 169 विधान परिषद का निर्माण/उन्मूलन।
Article 170–171 विधानसभा और परिषद की संरचना।
Article 172 विधानसभा का कार्यकाल – 5 वर्ष।
Article 173 सदस्य बनने की योग्यता।
Article 174–176 सत्र बुलाना, राज्यपाल का भाषण।
Article 177 मंत्री/महाधिवक्ता को भाग लेने का अधिकार।
Article 178–182 अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति आदि की नियुक्ति।
Article 183–187 पद रिक्ति, कार्य और अधिकार।
Article 188–193 शपथ, वेतन, अयोग्यता आदि।
Article 194 विधायकों के विशेषाधिकार।
Article 195–201 विधेयकों की प्रक्रिया और राज्यपाल की स्वीकृति।
Article 202 बजट – राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण।
Article 203–207 धन विधेयक और उसकी प्रक्रिया।
Article 208–212 नियम, प्रक्रियाArticle 214 प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय।
Article 215 उच्च न्यायालय को न्यायिक अधिकार।
Article 216–219 न्यायाधीशों की नियुक्ति, योग्यता और शपथ।
Article 220–222 स्थानांतरण, प्रतिबंध आदि।
Article 226 उच्च न्यायालय द्वारा रिट जारी करने की शक्ति।
Article 227 अधीनस्थ न्यायालयों पर उच्च न्यायालय की निगरानी।
Article 228–231 मामलों को स्थानांतरित करना, सामान्य उच्च न्यायालय की स्थाArticle 233 जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति।
Article 234 अन्य न्यायिक पदों की नियुक्ति।
Article 235 अधीनस्थ न्यायालयों का नियंत्रण।
Article 236–237 परिभाषाएँ और विशेष प्रावधानअनुच्छेद 239 से 242
👉 यह भाग भारत के केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) के प्रशासन से संबंधित है।
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🔹 Article 239 – प्रशासन का तरीका
केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक (Administrator) के माध्यम से किया जाएगा।
यह प्रशासक राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है।
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🔹 Article 239A – विधान मंडल व मंत्री-परिषद (कुछ UTs में)
केंद्रशासित प्रदेशों जैसे दिल्ली और पुडुचेरी में
विधानमंडल और मंत्री-परिषद स्थापित की जा सकती है।
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🔹 Article 239AA – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
यह 69वें संविधान संशोधन (1991) द्वारा जोड़ा गया।
दिल्ली को एक विशेष दर्जा दिया गया:
विधानसभा,
मुख्यमंत्री,
मंत्री-परिषद
लेकिन पुलिस, कानून-व्यवस्था, और भूमि केंद्र सरकार के अधीन हैं।
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🔹 Article 239AB – संविधान का निलंबन
यदि संविधान का पालन असंभव हो, तो राष्ट्रपति सरकार भंग या निलंबित कर सकता है।
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🔹 Article 240 – राष्ट्रपति के नियम
अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली, दमण दीव आदि में राष्ट्रपति नियम बनाकर शासन चला सकता है।
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🔹 Article 241 – उच्च न्यायालयों की स्थापना
केंद्रशासित प्रदेशों में उच्च न्यायालय या अधीनस्थ न्यायालय की व्यवस्था की जा सकती Part IX – पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System)
अनुच्छेद 243 से 243O तक
👉 यह भाग 73वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा जोड़ा गया।
👉 इसमें ग्राम स्तर पर स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था है।
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🔹 Article 243 – परिभाषाएँ
इस अनुच्छेद में पंचायत से जुड़े प्रमुख शब्दों की परिभाषा दी गई है, जैसे ग्रामसभा, पंचायत, राज्य चुनाव आयोग आदि।
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🔹 Article 243A – ग्रामसभा
ग्रामसभा को पंचायतों को योजनाओं में शामिल करने का अधिकार है।
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🔹 Article 243B – पंचायतों का गठन
प्रत्येक राज्य में त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली होगी:
1. ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर)
2. पंचायत समिति (खंड स्तर)
3. जिला परिषद (जनपद स्तर)
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🔹 Article 243C – पंचायत की संरचना
पंचायतों के सदस्यों की संख्या, सीटों का आरक्षण राज्य द्वारा तय होगा।
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🔹 Article 243D – आरक्षण
अनुसूचित जातियों, जनजातियों और महिलाओं (1/3) के लिए सीटों का आरक्षण।
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🔹 Article 243E – कार्यकाल
पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष।
समय पर चुनाव अनिवार्य।
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🔹 Article 243F – अयोग्यता
चुनाव लड़ने की अयोग्यता राज्य कानून से तय होगी।
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🔹 Article 243G – पंचायतों के कार्य और अधिकार
आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए पंचायतों को अधिकार दिए जाते हैं।
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🔹 Article 243H – पंचायतों को वित्तीय अधिकार
कर लगाने और फंड प्राप्त करने की शक्ति।
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🔹 Article 243I – राज्य वित्त आयोग
हर 5 साल में एक आयोग गठित होगा जो पंचायतों के वित्तीय संसाधनों की समीक्षा करेगा।
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🔹 Article 243J – लेखा परीक्षा
पंचायतों के खाते राज्य सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से जांचे जाएंगे।
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🔹 Article 243K – राज्य निर्वाचन आयोग
पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य स्तर पर स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना।
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🔹 Article 243L–243O – विशेष प्रावधान
कुछ राज्यों (जैसे जम्मू-कश्मीर, नागालैंड आदि) में विशेष स्थिति,
पंचायतों को भंग करने के नियम,
न्याअनुच्छेद 243P से 243ZG तक
👉 यह भाग 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत जोड़ा गया।
👉 इसका उद्देश्य है: शहरी स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना।
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🔹 Article 243P – परिभाषाएँ
इस अनुच्छेद में "नगरपालिका", "नगरपालिका क्षेत्र", "नगरपालिका जनसंख्या" आदि की परिभाषाएँ दी गई हैं।
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🔹 Article 243Q – नगरपालिकाओं का गठन
नगरपालिका के तीन प्रकार होते हैं:
1. नगरपालिका परिषद – छोटे शहरी क्षेत्रों के लिए
2. नगर निगम – बड़े शहरी क्षेत्रों के लिए
3. नगर पंचायत – संक्रमणकालीन क्षेत्रों (गाँव से शहर की ओर बढ़ते क्षेत्र) के लिए
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🔹 Article 243R – नगरपालिकाओं की रचना
नगरपालिकाओं में चुने हुए प्रतिनिधि होंगे।
अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण (1/3 न्यूनतम)।
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🔹 Article 243S – वार्ड समितियाँ
बड़े शहरों में वार्ड समिति का गठन।
इसके सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं।
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🔹 Article 243T – आरक्षण
अनुसूचित जातियों, जनजातियों और महिलाओं के लिए सीट आरक्षित।
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🔹 Article 243U – कार्यकाल
कार्यकाल 5 वर्ष।
समय पर चुनाव अनिवार्य।
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🔹 Article 243V – अयोग्यता
सदस्य बनने की अयोग्यता राज्य कानून द्वारा निर्धारित होगी।
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🔹 Article 243W – शक्तियाँ और कार्य
नगरपालिकाओं को आर्थिक विकास, शहरी नियोजन, स्वच्छता, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि से जुड़े कार्य सौंपे जाते हैं।
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🔹 Article 243X – वित्तीय अधिकार
नगरपालिकाओं को कर लगाने और धन संग्रह करने का अधिकार।
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🔹 Article 243Y – राज्य वित्त आयोग
हर 5 वर्ष में आयोग नियुक्त होगा जो नगरपालिका की वित्तीय ज़रूरतों की समीक्षा करेगा।
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🔹 Article 243Z – लेखा परीक्षा
नगरपालिकाओं के खातों की जांच राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से होगी।
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🔹 Article 243ZA – चुनाव आयोग
नगरपालिकाओं के चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ज़िम्मेदार होगा।
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🔹 Article 243ZB से 243ZG – विशेष प्रावधान
कुछ राज्यों को अपवाद,
नगरपालिकाओं के मामलोंअनुच्छेद 243ZH से 243ZT तक
👉 यह भाग 97वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 द्वारा जोड़ा गया।
👉 इसका उद्देश्य है: सहकारी समितियों का स्वतंत्र और लोकतांत्रिक संचालन सुनिश्चित करना।
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🔹 Article 243ZH – परिभाषाएँ
इस अनुच्छेद में "सहकारी समिति", "कार्यकारी समिति", "सदस्य", "राज्य अधिनियम" आदि की परिभाषाएँ दी गई हैं।
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🔹 Article 243ZI – समितियों का गठन
राज्य विधानमंडल सहकारी समितियों की गठन, कार्यप्रणाली, चुनाव, संचालन आदि के लिए कानून बना सकता है।
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🔹 Article 243ZJ – निदेशक मंडल (Board of Directors)
न्यूनतम 5 और अधिकतम 21 सदस्य।
कार्यकाल – 5 वर्ष।
आरक्षण – SC/ST/OBC और महिलाओं के लिए।
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🔹 Article 243ZK – चुनाव
समिति के चुनाव समय पर होंगे,
चुनाव की ज़िम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग की होगी।
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🔹 Article 243ZL – बोर्ड का निलंबन
केवल अत्यावश्यक स्थितियों में बोर्ड भंग किया जा सकता है।
अधिकतम 6 महीने के लिए प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है।
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🔹 Article 243ZM – लेखा परीक्षा (Audit)
सहकारी समितियों के खातों की नियमित और पेशेवर लेखा परीक्षा अनिवार्य।
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🔹 Article 243ZN – वार्षिक आम बैठक
प्रत्येक वर्ष एक बार वार्षिक आम सभा आयोजित करना अनिवार्य है।
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🔹 Article 243ZO – सदस्य अधिकार
प्रत्येक सदस्य को समान मतदान अधिकार,
जानकारी पाने और निरीक्षण करने का अधिकार।
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🔹 Article 243ZP – रिपोर्ट और लेखा
समितियों को वार्षिक रिपोर्ट, लेखा और बजट राज्य को प्रस्तुत करना होगा।
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🔹 Article 243ZQ – अपराध और दंड
उल्लंघनों पर दंड की व्यवस्था राज्य कानून में की जा सकती है।
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🔹 Article 243ZR – बहु-राज्य सहकारी समितियाँ
इनके लिए केवल संसद कानून बना सकती है।
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🔹 Article 243ZS – अपवाद
जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, सिक्किम, त्रिपुरा पर यह भाग लागू नहीं होता (कुछ शर्तों में)।
Part X – अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र (Scheduled and Tribal Areas)
अनुच्छेद 244 से 244A तक
👉 यह भाग विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन को लेकर है।
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🔹 Article 244 – अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन
पांचवी अनुसूची (Fifth Schedule):
यह अनुसूची भारत के अनुसूचित क्षेत्रों (Schedule Areas) और जनजातीय क्षेत्रों (Tribal Areas) के प्रशासन से संबंधित है।
ये क्षेत्र मुख्य रूप से मध्य भारत (मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि) में हैं।
राष्ट्रपति इन क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करता है।
राज्यपाल को विशेष शक्तियाँ मिलती हैं – कानून को निलंबित करने, ग्रामसभा की भूमिका बढ़ाने, आदि।
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🔹 Article 244A – स्वायत्त राज्य का गठन (Assam के लिए)
यह अनुच्छेद असम के जनजातीय क्षेत्रों के लिए है।
संसद को शक्ति है कि वह असम में स्वायत्त राज्य बना सके, जिसमें:
विधानसभा (Legislature), और
मंत्री-परिषद (Council of Ministers) हो सकती है।
इस प्रावधान के तहत "कार्बी आंगलोंग" जैसे क्षेत्र आते हैं।
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Part XI – केंद्र और राज्यों के बीच संबंध (Relations between Union and States)
अनुच्छेद 245 से 263 तक
👉 यह भाग भारत में संघीय व्यवस्था के तहत केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन को स्पष्ट करता है।
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I. विधायी संबंध (Legislative Relations) – अनुच्छेद 245 से 255
अनुच्छेद विषय
Art. 245 संसद और राज्य विधानमंडलों की विधायी शक्ति की सीमा।
Art. 246 विषय सूची का विभाजन –
Union List (केंद्र)
State List (राज्य)
Concurrent List (दोनों)
| Art. 246A | GST (वस्तु एवं सेवा कर) से संबंधित विशेष प्रावधान।
| Art. 247–255 | संसद को नई अदालतें स्थापित करने, गैर-राज्य विषयों पर कानून बनाने, और विभिन्न सूचियों में समन्वय करने की शक्ति।
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II. कार्यपालिका संबंध (Administrative Relations) – अनुच्छेद 256 से 263
अनुच्छेद विषय
Art. 256 राज्य का कार्य केंद्र के कानूनों के अनुसार होगा।
Art. 257 केंद्र के नियंत्रण में राज्यों का कार्य।
Art. 258 केंद्र राज्यों को कार्य सौंप सकता है।
Art. 258A राज्य भी केंद्र को कार्य सौंप सकता है।
Art. 261 एक राज्य में दिये निर्णय दूसरे राज्यों में भी मान्य होंगे।
Art. 263 अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State I. वित्त (Finance) – अनुच्छेद 264 से 291
अनुच्छेद विषय
Art. 264 वित्त से जुड़े अन्य अनुच्छेदों के लिए परिभाषाएँ।
Art. 265 कोई भी कर कानून के बिना नहीं लगाया जा सकता।
Art. 266 भारत और राज्यों के लिए समेकित निधि (Consolidated Fund) और लोक लेखा (Public Account)।
Art. 267 आकस्मिकता निधि (Contingency Fund) की स्थापना।
Art. 268–272 केंद्र और राज्यों के बीच करों का वितरण।
Art. 275 जनजातीय क्षेत्रों को अनुदान।
Art. 280 वित्त आयोग (Finance Commission) की स्थापना।
Art. 281 वित्त आयोग की रिपोर्ट।
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🔶 II. संपत्ति, अनुबंध और वाद (Property, Contracts, Suits) – अनुच्छेद 294 से 300A
अनुच्छेद विषय
Art. 294–295 ब्रिटिश भारत से भारत सरकार को संपत्ति, अधिकार और दायित्वों का हस्तांतरण।
Art. 296 उत्तराधिकारीविहीन संपत्ति सरकार के पास जाएगी।
Art. 297 समुद्री सीमा में संपत्ति केंद्र सरकार की।
Art. 298–299 सरकारें अनुबंध कर सकती हैं, लेकिन केवल संविधान के तहत वैध रूप से।
Art. 300 सरकारें वाद दायर कर सकती हैं या उनके खिलाफ वाद चल सकता है।
Art. 300A किसी भी नागरिक की संपत्ति बिना कानून के अधिग्रहण नहीं की जा सकती (यह मूल अधिकार नहीं, लेकिन संवैधानिक अधिकार है)।
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✅ Part XII – Part XIII – भारत में व्यापार, वाणिज्य और परिवहन की स्वतंत्रता
(Freedom of Trade, Commerce and Intercourse)
अनुच्छेद 301 से 307 तक
👉 यह भाग भारत में राज्यों और केंद्र के बीच आर्थिक एकता और मुक्त व्यापार को सुनिश्चित करता है।
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🔹 Article 301 – व्यापार की स्वतंत्रता
पूरे भारत में व्यापार, वाणिज्य और आवागमन स्वतंत्र होगा।
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🔹 Article 302 – संसद के प्रतिबंध लगाने का अधिकार
संसद, जनता के हित में व्यापार पर प्रतिबंध लगा सकती है, जैसे:
राष्ट्रीय सुरक्षा,
लोक व्यवस्था आदि कारणों से।
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🔹 Article 303 – भेदभाव पर रोक
संसद या राज्य कोई कानून नहीं बना सकते जो राज्य के आधार पर भेदभाव करे।
अपवाद: यदि संसद declares करती है कि यह जनता के हित में है।
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🔹 Article 304 – राज्यों को अधिकार
राज्य व्यापार पर कर लगा सकते हैं, लेकिन:
अन्य राज्यों के सामानों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
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🔹 Article 305 – वर्तमान कानून संरक्षित
पहले से लागू कानून इस भाग से प्रभावित नहीं होंगे।
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🔹 Article 306 – (अब निरस्त)
यह अनुच्छेद हटा दिया गया है।
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🔹 Article 307 – व्यापार आयोग
राष्ट्रपति एक प्राधिकरण नियुक्तअनुच्छेद 308 से 323 तक
👉 यह भाग केंद्र और राज्य सरकारों के अधीन लोक सेवाओं (Civil Services) से संबंधित है।
👉 इसमें UPSC, राज्य लोक सेवा आयोग, सेवा शर्तें, नियुक्ति आदि की व्यवस्था है।
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🔶 I. अनुच्छेद 308–314: सेवाओं का प्रावधान
अनुच्छेद विवरण
Art. 308 यह भाग जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों पर लागू होता था (अब 370 हटने के बाद J&K पर भी लागू)।
Art. 309 संसद/विधानसभा सेवा नियम बन सकती है: भर्ती, वेतन, स्थानांतरण, रिटायरमेंट आदि के लिए।
Art. 310 “डॉक्ट्रिन ऑफ प्लीजर” – राष्ट्रपति/राज्यपाल की कृपा पर सेवा समाप्त की जा सकती है।
Art. 311 निष्कासन/निलंबन से पहले सुनवाई का अधिकार – सरकारी कर्मचारियों को सुरक्षित किया गया है।
Art. 312 संसद द्वारा अखिल भारतीय सेवा (All India Services) बनाई जा सकती है (जैसे IAS, IPS)।
Art. 313–314 संक्रमणकालीन प्रावधान (अब अप्रासंगिक हैं)।
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🔶 II. अनुच्छेद 315–323: लोक सेवा आयोग (Public Service Commissions)
अनुच्छेद विवरण
Art. 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग – UPSC और SPSC।
Art. 316 आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल।
Art. 317 आयोग के सदस्य कैसे हटाए जा सकते हैं – राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेकर हटा सकते हैं।
Art. 318–319 सेवा शर्तें और भविष्य की अयोग्यता।
Art. 320 UPSC/SPSC की कार्यप्रणाली और कर्तव्य – भर्ती, प्रमोशन, ट्रांसफर आदि पर सलाह देना।
Art. 321 संसद आयोग को अतिरिक्त कार्य सौंप सकती है।
Art. 322 आयोग का खर्च समेकित निधि (Consolidated Fund) से होता है।
Art. 323 आयोग हर साल रिपोर्ट राArticle 323A – प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Administrative Tribunals)
केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी सेवाओं से जुड़े मामलों के लिए प्रशासनिक न्यायाधिकरण स्थापित कर सकती हैं।
उदाहरण:
CAT (Central Administrative Tribunal) – केंद्रीय सेवाओं के मामलों की सुनवाई करता है।
इसमें भर्ती, पदोन्नति, स्थानांतरण, अनुशासन आदि शामिल हैं।
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🔹 Article 323B – अन्य विषयों पर न्यायाधिकरण (Tribunals for Other Matters)
संसद/राज्य विधानमंडल अन्य क्षेत्रों में भी ट्रिब्यूनल बना सकती है:
कर,
औद्योगिक और श्रम विवाद,
भूमि सुधार,
किराया और पट्टा,
उत्पाद शुल्क,
खाद्य आपूर्ति आदि।
ये न्यायाधिकरण विशेष अधिकार क्षेत्र रखते हैंयह भाग भारत में लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली को संचालित करने वाले प्रावधानों को दर्शाता है।
👉 इसमें चुनाव आयोग, चुनाव की प्रक्रिया, और चुनाव संबंधी विवादों का उल्लेख है।
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🔹 Article 324 – चुनाव आयोग की शक्तियाँ
भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद और राज्य विधानमंडल के चुनाव कराने की संपूर्ण ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है।
चुनाव आयोग में:
एक मुख्य चुनाव आयुक्त
और अन्य चुनाव आयुक्त शामिल होते हैं (संविधान में संख्या निर्दिष्ट नहीं)।
नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा
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🔹 Article 325 – मतदाता सूची में भेदभाव वर्जित
केवल नागरिकता के आधार पर वोट देने का अधिकार होगा।
धर्म, जाति, लिंग, भाषा आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
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🔹 Article 326 – सामान्य निर्वाचन अधिकार (Universal Adult Suffrage)
18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार है (यदि वे अयोग्य घोषित न हों)।
यह लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए लागू है।
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🔹 Article 327 – संसद को अधिकार
संसद चुनाव से संबंधित कानून बना सकती है।
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Article 328 – राज्य विधानमंडल का अधिकार
राज्य भी अपने चुनावों से संबंधित राज्य कानून बना सकते हैं, बशर्ते वह संसद के कानून से विरोधाभासी न हो।
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🔹 mArticle 329 – न्यायिक समीक्षा पर रोक
जब चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाती है, तो अदालतें चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी जा सकती है।
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Article 329A – (हटाया जा चुका है)
यह इंदिरा गांधी के चुनाव विवाद से जुड़ा था।
44वें संविधान संशोधन, 1978Art. 330 लोकसभा में SC और ST के लिए आरक्षण।
Art. 331 अंग्रेज़ी बोलने वाले एंग्लो-इंडियन को राष्ट्रपति लोकसभा में नामित कर सकता है (अब हटा दिया गया)।
Art. 332 विधानसभाओं में SC और ST के लिए सीटों का आरक्षण।
Art. 333 राज्यपाल, एंग्लो-इंडियन को विधानसभा में नामित कर सकता था (अब हटा दिया गया)।
Art. 334 आरक्षण की अवधि (प्रारंभ में 10 वर्ष, अब बढ़ाकर 2030 तक कर दिया गया)।
Art. 335 SC/ST की भर्ती में योग्यता के साथ प्राथमिकता।
Art. 336 अंग्रेज़ी शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को सेवाओं में विशेष अवसर (सिर्फ कुछ वर्षों के लिए था)।
Art. 337 एंग्लो-इंडियन शिक्षण संस्थाओं को सहायता (कुछ समय तक मान्य)।
Art. 338 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC)
Art. 338A राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)
Art. 338B राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) – 102वां संशोधन, 2018
Art. 339 राष्ट्रपति जनजातियों की स्थिति पर आयोग बना सकता है।
Art. 340 पिछड़े वर्ग की पहचान हेतु आयोग (जैसे: मंडल आयोग)।
Art. 341 SC की सूची – राष्ट्रपति राज्यवार सूची घोषित करता है।
Art. 342 ST की सूची – राष्ट्रपति राज्यवार सूची घोषित करता है।
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Part XVI – COMPLETE
अनुच्छेद 343 – संघ की राजभाषा
हिंदी (देवनागरी लिपि में) संघ की राजभाषा होगी।
शुरू में 15 वर्षों तक अंग्रेजी भी जारी रहेगी (1950–1965), फिर हिंदी मुख्य भाषा बनेगी – लेकिन विरोध और आंदोलन के कारण अंग्रेज़ी आज भी सह-राजभाषा है।
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अनुच्छेद 344 – राजभाषा आयोग और समिति
राष्ट्रपति एक राजभाषा आयोग नियुक्त करता है।
संसद की राजभाषा समिति सिफारिशें देती है: हिंदी के प्रचार और उपयोग बढ़ाने के लिए।
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अनुच्छेद 345 – राज्य की राजभाषा
राज्य अपनी राजभाषा स्वयं चुन सकते हैं – हिंदी, अंग्रेज़ी या क्षेत्रीय भाषा।
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अनुच्छेद 346–347 – राज्यों और केंद्र के बीच भाषा
एक राज्य और केंद्र सरकार के बीच, या राज्यों के बीच संपर्क भाषा हिंदी होगी (जब तक अन्यथा तय न हो)।
राष्ट्रपति विशेष स्थिति में नई भाषाओं को मान्यता दे सकता है।
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अनुच्छेद 348 – न्यायालयों की भाषा
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की कार्यवाही की भाषा अंग्रेज़ी होगी (जब तक संसद कुछ और न तय करे)।
संविधान, कानूनों, विधायी कार्यों की आधिकारिक भाषा भी अंग्रेज़ी।
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🔶 अनुच्छेद 349 – विशेष निर्देश
हिंदी को लागू करने में जल्दबाज़ी से बचने हेतु संसद को कुछ समय तक विशेष निर्देशों का पालन करना होगा।
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अनुच्छेद 350 – भाषाई अल्पसंख्यकों की शिकायत
भाषाई अधिकारों की रक्षा हेतु नागरिक राष्ट्रपति को प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
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अनुच्छेद 350A – प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में
राज्य सरकारें अल्पसंख्यकों के बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराएं।
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अनुच्छेद 350B – विशेष अधिकारी (Special Officer for Linguistic Minorities)
राष्ट्रपति भाषाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हेतु एक अधिकारी नियुक्त करता है।
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अनुच्छेद 351 – हिंदी का प्रचार
केंद्र सरकार हिंदी को राष्ट्रभाषा 👉 यह भाग भारत के संविधान में तीन प्रकार की आपात स्थितियों से संबंधित है।
👉 आपातकालीन प्रावधानों से केंद्र को असाधारण शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
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1. राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) – Article 352
युद्ध, बाहरी आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह के समय लागू होता है।
राष्ट्रपति कैबिनेट की सिफारिश पर आपातकाल घोषित कर सकता है।
संसद की अवधि बढ़ाई जा सकती है, राज्यों की शक्तियाँ केंद्र में आ जाती हैं।
मूल अधिकारों (Art. 19) को निलंबित किया जा सकता है।
वर्तमान में 1975 का आपातकाल सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है।
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2. राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (President’s Rule) – Article 356
यदि राज्य में संविधान के अनुसार शासन संभव न हो, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
राज्यपाल की रिपोर्ट या राष्ट्रपति की स्वयं की संतुष्टि पर लागू।
अधिकतम अवधि – 3 वर्ष, लेकिन कुछ शर्तों के अधीन।
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3. वित्तीय आपातकाल – Article 360
यदि देश की वित्तीय स्थिरता खतरे में हो, तो राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकता है।
अभी तक कभी लागू नहीं हुआ।
इसमें:
सरकारी वेतन में कटौती,
केंद्र का वित्तीय नियंत्रण राज्यों पर हो जाता है।
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अन्य संबंधित अनुच्छेद:
अनुच्छेद विवरण
Art. 353 राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान केंद्र की विस्तृत शक्तियाँ।
Art. 354 वित्तीय प्रावधानों का बदलाव।
Art. 355 केंद्र सरकार का कर्तव्य – राज्यों की रक्षा करना।
Art. 357 राष्ट्रपति शासन में राज्य विधायी शक्तियों का प्रयोग संसद द्वारा।
Art. 358 राष्ट्रीय आपातकाल में अनुच्छेद 19 स्वतः निलंबित हो जाता है।
Art. 35अनुच्छेद 361 से 367 तक
यह भाग कुछ विशेष सुरक्षा, उत्तरदायित्व, और परिभाषाओं से संबंधित है।
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Article 361 – राष्ट्रपति और राज्यपाल की विशेष सुरक्षा
राष्ट्रपति और राज्यपाल को उनके कार्यकाल के दौरान कोई भी अदालत आपराधिक कार्यवाही के लिए तलब नहीं कर सकती।
उन्हें किसी नागरिक दायित्व के मामले में भी पूर्व सूचना के बिना नहीं घसीटा जा सकता।
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Article 361A – समाचारों के प्रकाशन की स्वतंत्रता
संसद और राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही को प्रामाणिक रूप से प्रकाशित करने पर मुकदमा नहीं चल सकता।
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Article 361B – अस्वीकृत (Disqualification) सदस्यों को लाभ के पद से रोक
यदि कोई सदस्य संसद द्वारा अयोग्य ठहराया गया है, तो वह व्यक्ति किसी लाभ के पद पर नियुक्त नहीं हो सकता।
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Article 362 – (निरस्त)
यह पूर्व रियासतों के शासकों के विशेषाधिकारों से संबंधित था, अब हटा दिया गया है।
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Article 363 – संधियों से संबंधित विवाद
भारत सरकार और पूर्व रियासतों के बीच की संधियों को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
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Article 363A – राजाओं की मान्यता समाप्त
राजा-महाराजाओं की उपाधियाँ, विशेषाधिकार, पेंशन आदि समाप्त कर दिए गए (26वां संशोधन, 1971)।
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Article 364 – सार्वजनिक संस्थानों पर भाषाई प्रावधान लागू करने का तरीका
केंद्र सरकार यह निर्धारित कर सकती है कि किस समय से किस संस्था पर राजभाषा के प्रावधान लागू होंगे।
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Article 365 – राज्य की विफलता (President’s Rule का आधार)
यदि कोई राज्य संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं करता, तो उसे Article 356 के तहत राष्ट्रपति शासन में लाया जा सकता है।
- Article 366 – परिभाषाएँ (Definitions)
संविधान में प्रयुक्त कई महत्वपूर्ण शब्दों (जैसे ‘राज्य’, ‘नागरिक’, ‘अध्यक्ष’, आदि) की व्याख्या दी गई है।
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Article 367 – सामान्य व्याख्या
संविधान की व्याख्या के लिए सामान्य व्याख्या अधिनियम, 1897 का संदर्भ लिया जाएगा9 राष्ट्रपति कुछ मूल अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित कर सकताके रूप में विकसित और प्रचारित करेगी, ताकि यह भारत की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।
(Articles 330–342)
के द्वारा हटा दिया गया।
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Part XV – COMPLETE (Articles 324–329A) और तेजी से निर्णय देते हैं।
ष्ट्रपति/राज्यपाल को सौंपते हैं।
कर सकता है
जो अनुच्छेद 301–304 के प्रवर्तन को सुनिश्चित करे।
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COMPLETE (Articles 264–300A)
Council) – राज्यों के बीच समन्वय हेतु।
Part X – COMPLETE (Articles 244–244A)
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Article 243ZT – संक्रमणकालीन प्रावधान
राज्यों को एक वर्ष में अपने कानून संविधान के अनुसार ढालने थे।
में न्यायालय का हस्तक्षेप सीमित,
विवादों का समाधान।
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Part IXA – नगरपालिकाएँ (Articles 243P–243ZG) COMPLETE!
यालयों में पंचायत चुनाव को चुनौती देने की प्रक्रिया।
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Part IX – पंचायत व्यवस्था (Articles 243–243O) COMPLETE!
है।
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Article 242
अब निरस्त (repealed) हो चुका है।
।
पना।
, विवाद आदि।
ल से सूचना।
।
कार्यवाही की वैधता।
मंत्री के बीच सूचना देना।
ष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, CAG आदि से संबंधित
पालिका से अलग रखना।
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Article 51 – अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा
विश्व शांति, अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन, UNO के सिद्धांतों का सम्मान।
4 आपातकाल या मार्शल लॉ की स्थिति में कुछ अधिकार सीमित हो सकते हैं
Article 35 मौलिक अधिकारों से जुड़े कुछ कानून केवल संसद बना सकती है
c)।
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